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inspirational story in hindi for all," रबड़ी की सुगंध"

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        एक गांव में एक हलवाई रहता था।वह बहुत स्वादिष्ठ मिठाई बनाता था।एक दिन उसने अपनी दुकान के बाहर  रबड़ी के लिए दूध उबलने रखा था। दूध में से इलायची और केसर की बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।   कुछ देर बाद वहाँ राजू नाम का एक गरीब लड़का आया।वह दुकान के बाहर पेड़ के नीचे बैठ गया। आज उसके पास खाने के लिए सिर्फ एक रोटी थी । रोटी के साथ खाने के लिए भी कुछ नहीं था।राजू ने रबड़ी की सुगंध लेते लेते अपनी रोटी खा ली।यह सब हलवाई ने देखा। उसने राजू के पास जाकर रबड़ी के पैसे मांगे।राजू ने कहा,"जब रबड़ी खाई नहीं तो मैं तुम्हें किस बात के पैसे दूँ"।हलवाई ने जवाब में कहा,"मैंने अच्छी तरह से देखा हैंं तुमने अपनी रोटी मेरी रबड़ी की खुशबू लेते लेते खाई हैं इसलिये पैसे तो तुम्हें देने होंगे।      राजू ने कहा ,"मेरे पास पैसे नहीं है मैं अपने दोस्त से लेकर देता हूँ"। हलवाई ने उसे जल्दी पैसे लेकर वापस आने के लिए कहकर जाने दिया।राजू ने अपने दोस्त श्याम को अपनी समस्या बताई।श्याम एक समझदार लड़का था ।वह अपनी सूझबूझ से कोई भी समस्या आसानी से हल कर देता था।राजू की स...

"समझदार राजू" moral story for school kids in hindi

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    राजू नाम का एक लड़का था।वह पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी बहुत होशियार था। विध्यालय में भी सभी शिक्षक उसे बहुत पसंद करते थे। उसके पिताजी रेलवे में अफसर थे।एक दिन उसके पिताजी का तबादला दूसरे शहर में हो गया। राजू को बीच में ही स्कूल छोड़कर जाना पड़ा।    नये स्कूल में राजू का कोई भी दोस्त नहीं था।वर्ष के बीच में आने के कारण राजू को सारी नोटबुक्स भी फिर से बनानां था।लेकिन राजू का कोई दोस्त ना होने के कारण उसे अपनी किताबें देने कोई राजी नहीं हो रहा था।अब कुछ ही दिनों में परीक्षा भी आने वाली थी।       अंत में राजू ने अपनी परेशानी अपने वर्ग के शिक्षक को बताई।जब  शिक्षक को इस बारे में पता चला तो उन्होंने बाकि सभी विध्यार्थी और शिक्षकों को  राजू की मदद करने को कहा।शिक्षक की बात सुनकर सभी राजू को मदद करने तैयार हो गए।सबकी मदद से राजू का पुराना काम भी हो गया और वह परीक्षा में भी अच्छे अंको से पास हो गया।कुछ समय बाद कक्षा के सारे लड़के भी उसके मित्र बन गए। शिक्षा:परेशानी बाटने से कम होती हैं।

Moral story in hindi"लालच बुरी बला हैं"

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   मथुरा नगर में सेवकराम नाम का हलवाई रहता था।वह बहुत स्वादिष्ठ मिठाई बनाता था।धीरे -धीरे  उसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैल गई।अब दूर -दूर से ग्राहक उसकी मिठाई लेने आने लगे।  अब सेवकराम के दिमाग में लालच जागा। वह तोलने में गड़बड़ी करने लगा।अब वह ग्राहकों को ज्यादा मुनाफा कमाने की लालच में थोड़ी कम मिठाई देता।    एक दिन एक होशियार ग्राहक उसकी दुकान में आया।उसने सेवकराम की गड़बड़ी पकड़ ली।ग्राहक ने उससे कहा,'सेवक रामजी ज़रा ठीक से तोलिये"।जवाब में सेवकराम ने कहा "ठीक से ही तोल रहा हूँ"।जब पैसे देने की बात आई तो ग्राहक ने कुछ कम पैसे दिए।तब सेवक राम ने इस बारे में ग्राहक को कहा तो ग्राहक ने हँसते हुए जवाब दिया ," जैसी मिठाई वैसा पैसा"।कतार में खड़े दूसरे ग्राहको को जब इस बात का पता चला तो सब ने सेवक राम का खूब मजाक बनाया।उस दिन से सेवक राम तोलने में हेराफेरी करना भूल गया। शिक्षा:लालच बुरी बला हैं।

hindi motivational story for all"महत्वपुर्ण निर्णय सोच समझकर लेने चाहिए"

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  बात मुजफरनगर शहर की हैं।अयान की अभी -अभी शादी हुई थी।वह अपनी शादी से बहुत खुश था।एक दिन वह घर के लिए किराना लेने बाज़ार गया।वहाँ उसे अपना स्कूल का मित्र अफजल मिल गया।उसने अफजल को बात बात में अपनी शादी के बारे में बताया। उसने यह भी बताया के वह अपनी शादी से कितना खुश हैं।     अफजल ने अयान से कहा,"तुमनें अगर मेरी तरह दो शादी कर ली तो तुम्हारी ख़ुशी दुगुनी हो जाएगी"।अयान ने अफजल की सलाह मानकर दूसरी शादी कर ली।लेकिन शादी के बाद अयान की दोनों बीवियों ने अयान को अपने साथ रखने से इन्कार कर दिया।पहेली ने अयान को साथ रखने से इसलिए मना कर दिया क्योकि उसके रहते अयान ने दूसरी शादी की थी।दूसरी बीवी ने उसे रखने से इसलिए मना कर दिया क्योकिं एक बीवी होते हुए भी उसने दोबारा उससे दूसरी शादी की।   एक रात बीवियों के झगड़ो से तंग आकर अयान मस्जिद में सोने चला गया।वहाँ उसे अफजल मिल गया।अयान ने अफजल से कहा कि "तुमने मुझे इतनी गलत सलाह क्यों दी"? जवाब में अफजल ने कहा," मैं यहाँ अकेला महसूस कर रहा था। शिक्षा:हमें जिंदगी के महत्वपुर्ण निर्णय दूसरों की सलाह पर नहीं लेने चाहिए।

short moral story in hindi"टोपीवाला" for class 2

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  गर्मी के दिनों की बात है।एक गांव में एक टोपीवाला रहता था।वह रोज़ शहर में अपनी टोपियाँ बेचने जाता था।एक दिन जब वह शहर से टोपी बेचकर लौट रहा था तब उसने एक छायादार पेड़ देखा।वह पेड़ के नीचे अपनी टोपियों वाली गठरी रख खाने बैठ गया।खाना खाकर उसे नींद आने लगी।टोपीवाले ने सोचा,"कुछ देर आराम कर लेता हूँ"।ऐसा सोच कर वह सो गया।     कुछ देर बाद वहाँ एक बन्दरों का झुंड आया।बंदरों ने गठरी खोलकर टोपीवाले की टोपियाँ निकाल कर पहन ली।कुछ देर बाद जब टोपीवाला जागा तो उसने देखा उसकी गठरी तो खाली हैं।उसने इधर उधर नज़र घुमा कर देखा लेकिन उसे टोपियाँ कहीं नज़र नहीं आई।फिर कुछ देर बाद उसकी नज़र पेड़ पर पड़ी तब उसे समझ में आया की उसकी टोपियाँ तो बंदरों ने पहन रखी हैं।उसने बहुत कोशिश की लेकिन बंदरों ने टोपियाँ वापस नहीं की।गुस्से में आकर उसने अपनी टोपी भी फ़ेक दी।जैसे ही उसने अपनी टोपी नीचे फेकी बंदरों ने भी अपनी टोपियाँ फेक दी।टोपीवाला ख़ुशी- खुशी सारी टोपियाँ लेकर अपने गांव लौट गया। शिक्षा:कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती।

motivationalstory for all,"जल्दबाज़ी" hindi moral story for school students with good learning

   एक शहर में राजू नाम का आदमी था।उसे हर बात की जल्दी रहती थी।जैसे की  नौकरी जाने की जल्दी और वहाँ से वापस लौटने की जल्दी, खाने की जल्दी, खाने के बाद सोने की जल्दी, दुनिया का कोई काम नहीं था जिसमें उसे जल्दी नहीं होती थी।कई बार तो उसकी इस आदत के कारण उसका काफी काम भी खराब हो जाता था।लेकिन राजू था की सुधरने का नाम ही नहीं लेता था।     एक बार राजू अपनी मौसी के घर पालनपुर गया। जनवरी का महीना था ।इसलिए मौसी ने चावल के पापड़ बनाये हुए थे।मौसी ने राजू को चाय के साथ चावल के पापड़ सेक कर खाने को दे दिए। चावल के पापड़ खाने में थोड़े कड़क होते हैं।लेकिन राजू फटा फट चावल के पापड़ खाने लगा।मौसी ने राजू को टोकते हुआ ज़रा आराम से खाने की सलाह दी।     लेकिन राजू कहा सुनने वाला था ।वह तो बस फटाफट खाये जा रहा था। अचानक एक पापड़ का टुकड़ा राजू के गले में फस गया।राजू को अब घबराहट होने लगी। मौसी समझदार थी।वह पड़ोसी की मदद से राजू को समय रहते अस्पताल ले गई।डॉक्टर ने राजू का ऑपरेशन कर पापड़ का टुकड़ा  निकाल दिया।अब राजू समझ गया था के हर बात में जल्दी ठीक नहीं हैं।  शिक्षा:हमे...

moral story with nitti ," कंजूस धनीराम" for school children

       पुराने समय की बात हैं। पालनपुर नाम का एक छोटा गाँव था।उस गाँव में धनीराम नाम का एक अमीर व्यापारी रहता था।धनीराम के पास बहुत धन था। धनी ने अपना सारा धन अपने घर में अनाज भरने की कोठी में छिपा कर रखा था।वह हर रोज़ आंंधी रात को उठता और अपने सारे सोने के सिक्के गिनता और फिर तसल्ली से सो जाता।लेकिन वह स्वभाव से बहुत कंजूस था।अगर कभी लोग उसके पास मदद मांगने आते तो मना कर देता।        उसके पड़ोस में एक रामू नाम का गरीब धोबी रहता था। रामू का बेटा पढ़ाई में बहुत होशियार था।रामू उसे पढ़ाई के लिए शहर भेजना चाहता था। रामू ने धनीराम से पैसे कि मदद मांगी तो उसने पैसे देने से साफ इनकार कर दिया।     एक दिन एक चोर ने धनीराम को पैसे गिनते देख लिया।अब चोर मौके की तलाश में था।कुछ दिन बाद धनीराम के बेटे की तबियत खराब हो गई।गाँव के वैद्य ने उसे शहर जाने की सलाह दी। धनीराम जैसे ही शहर गया ही रात को चोर ने सोने के सिक्के निकाल कर उनकी जगह पत्थर रख दिए ।    जब धनीराम शहर से लौटा तो सिक्कों की जगह पत्थर देखकर वह बहुत रोया।अब धनी को एहसास हो गया था की ...

"लोमडी और अँगूर की कहानी" fox and grapes story in hindi

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 गर्मी के दिनों की बात हैं।नागपुर शहर के पास एक जंगल था।जंगल में बहुत से जानवर रहते थे।एक दिन एक लोमडी खाना तलाश करते करते जंगल से बाहर निकल गई।       जंगल के बाहर उसने एक बगीचा देखा। वह उस बगीचें में घुस गई।वहाँ लोमडी ने  बहुत से बड़े और घने पेड़ देखें।उन में से एक पेड़ पर लोमडी ने एक अँगूर का गुच्छा लटका देखा। अंगूरों को देखकर लोमडी मन ही मन सोचने लगी ,"चलो आज तो में इन अंगूरों से अपनी भूख और प्यास दोनों ही बुझा लूंगी "।ऐसा सोच कर लोमडी ने जोर-जोर से छलॉगे मारना शुरू कर दिया।लेकिन वह अंगूरों तक नहीं  पहुँच पाई ।काफी कोशिश करने के बाद भी वह अंगूरों तक नहीं पहुँँच पाई।यह सब कुछ पास ही पेड़ पर बैठे एक काले कुए ने देखा।।अंत में लोमडी ने मनोमन सोचा,'वैसे भी अँगूर खट्टे हैं"।ऐसा कहकर वह जंगल में लौट गई।लोमडी के जाते ही कौए ने अँगूर   पूरा स्वाद लेकर खाए और फिर जंगल की ओर उड़ गया।   शिक्षा: हमें अपनी कमजोरी का दोष दूसरों पर नहीं डालना चाहिए।     

moralstory in hindi for class 2 and class 3 ,"मोबाइल से असली दुनिया की ओर"

     गोपी नाम का एक लड़का था।वह एक छोटे शहर में अपने मम्मी और पापा के साथ रहता था।कुछ दिनों से वह पूरे दिन मोबाइल पर खेलता रहता था।उसके मम्मी पापा उसकी इस आदत से बहुत परेशान हो गए थे।मोबाइल के ज्यादा उपयोग से गोपी का शरीर बैठे बैठे स्थूल होने लगा था।वह अब पढ़ाई में भी कमजोर हो गया था।गोपी को अब चश्मा भी लग गया था।गोपी ने बाहर जाकर दोस्तों के साथ खेलना भी बंद कर दिया था।मम्मी के बार बार समझाने के बावजूद गोपी ने मोबाइल का इस्तेमाल कम नहीं किया था। मम्मी ने गोपी की मोबाइल की आदत सुधारने का एक उपाय सोचा।अपने प्लान में मम्मी ने पापा को भी शामिल कर लिया।      रविवार के दिन मम्मी ने सुबह जल्दी जागकर ढ़ेर सारा नाश्ता बना लिया।गोपी को जगाकर तैयार होने को कह दिया। गोपी के पूछने पर कहा कि आज वह सब पिकनिक पर जाएगें।मम्मी , पापा और गोपी नाश्ता लेकर गाड़ी में घूमने के लिये निकल पड़े।        पापा ने गाड़ी अनाथ आश्रम के बाहर आकर रोक दी।वह सब लोग आश्रम के अंदर गए और वहाँ ऑफिस में जाकर पापा ने ट्रस्टी से मुलाकात की।ट्रस्टी उन सब को मैदान में ले गए।गोपी ने मैदान...

every old story has a new part in hindi"चतुर खरगोश भाग 2"

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         जब से चतुर खरगोश ने अपनी बुधिमानी से शेर को कुए में गिरा कर मार दिया था तब से उसकी बुधिमानी की बात आसपास के सभी जंगल में फैल गई।जरुरत पड़ने पर आसपास के जंगल से सभी जानवर खरगोश से मदद के लिए आने लगे।खरगोश उन्हें हमेशा अच्छी सलाह देता या सही उपाय बताता था।   एक बार पड़ोस के नंदनवन जंगल से कुछ जानवर खरगोश से मिलने आये।नंदनवन में सभी जानवर भेड़िये के आतंक से बहुत परेशान थे।भेड़िया बिना मतलब आते जाते जानवरो को परेशान करता था।कई बार तो बिना जरूरत  वह अपने से कमज़ोर जानवरो को मार गिरता था।उसकी इस बात से सभी जानवर बहुत परेशान थे।      नंदनवन जंगल शहर के पास ही था। खरगोश ने कहा ,"चलो में भेड़िये से बात करने चलता हूँ"। खरगोश सभी जनवरों के साथ नंदनवन की ओर निकल पड़ा।रास्ते में खरगोश ने एक गड्ढा दिखा।जिसे देखकर खरगोश को उपाय सुझा और उसने सभी जानवरों से कहा इस गड्ढे को कॉटो से भर दो।सभी जानवरो ने ऐसा ही किया और बाद में खरगोश ने कॉटो को हरी घास से ढक दिया।फिर खरगोश ने भेड़िये के पास जाकर कहा,"महाराज आप तो नंदनवन के राजा हैं ।आप को पेड़ के ...

hindimoralstory for kids," चतुर खरगोश"

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 एक बार एक जंगल में एक बहुत ही घमंडी शेर रहता था।वह जंगल के सभी जानवरो को परेशान करता रहता था।सभी जानवर आपस में मिलकर इस परेशानी का हल  निकालकर शेर के पास पँहुच गए।      सभी ने कहा ,"महाराज अगर आपको कोई परेशानी ना हो तो आप को शिकार पर निकलने की कोई जरुरत नहीं है, हम रोज़ आपस में सलाह कर एक जानवर आपके खाने के लिए भेज देंगे"।    यह सुनकर शेर बहुत खुश हो गया और उसने सभी जानवरों की विनंती मान ली।अब हर रोज जंगल का एक जानवर शेर का भोजन बनकर जाने लगा।     एक दिन खरगोश की बारी आई।खरगोश थोड़ा कमज़ोर जरूर था, लेकिन वह चातुर बहुत था।उसने रास्ते में एक कुआ देखा।जब उस कुए में खरगोश झॉककर देखा तो उसे उसमें एक दम साफ पानी दिखा।यह देखकर खरगोश को एक उपाय सुझा।       शेर के पास पँहुच कर खरगोश ने कहा "देरी से आने के लिया माफी चाहता हूँ। जंगल के जानवरो ने तो मेरे साथ चार और खरगोश आपके भोजन के लिए भेजे थे।लेकिन उस नकली राजा ने उन चारों को खा लिया और मुझे आपके पास भेज दिया।उसने तो यह भी कहा के जंगल का असली राजा वह हैं आप तो नकली राजा हो"। ...

"कछुआ और खरगोश कहानी" new version of frog and tortoise story in hindi

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         एक समय की बात हैं। जब से कछुए ने खरगोश को दौड़ में हराया था तब से यह बात जंगल में चर्चा का विषय बनी हुई थी।सभी जानवर कछुए की बुद्धिमानी और धैर्य की तारीफ कर रहे थे।वहीं दूसरी ओर खरगोश की मूर्खता का मजाक बना रहे थे।      कुछ दिन तो खरगोश ने यह सब सहन किया। लेकिन जब उससे सहन नहीं हुआ तो खरगोश ने फिर से कछुए को दौड़ की चुनौती दे डाली।कछुए ने कहा,"मैं तुम से फिर से प्रतियोगता करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन दिन और लक्ष्य में तय करूँगा"।खरगोश ने बिना सोचे हा कह दिया।       दौड़ वाले दिन सारे जानवर प्रतियोगीता देखने आ गये।जैसे ही दौड़ शुरू हुई तो खरगोश फटाफट दौड़ने लगा।खरगोश ने सोच लिया था कि इस बार ना वह कुछ खाने रुकेगा न ही सोएगा।कछुआ भी धीरे- धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा।इस तरफ खरगोश तालाब के किनारे आ कर अटक गया। जीत का लक्ष्य तालाब के उस पार पहाड़ी की चोटी को तय किया गया था।दूसरी तरफ कछुआ धीरे- धीरे तालाब पार कर चोटी तक पहुँच गया और फिर से जीत गया। सभी जानवरों ने फिर से तालिया बजाकर कछुए को जीत की बधाई दी।खरगोश  भी...

"कछुआ और खरगोश की कहानी" hindi story for kids

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एक समय कि बात है।एक घने और हरेभरे जंगल में एक सफेद खरगोश रहता था।वह बहुत तेज दौड़ता था।उसे अपनी इस बात पर बहुत घमंड था। वह अकसर दूसरे जानवरों को दौड़ने की चुनौती देता रहता था।        एक बार उसने एक कछुए को धीरे धीरे चलते देखा  तो उसने कछुए को दौड़ने की चुनौती दी।कछुए ने उसकी चुनौती मान ली।दौड़ का दिन और समय तय कर लिया गया।जब इस चुन्नौती के बारे में दुसरे जानवरों को पता चला तो सब दौड़ वाले दिन यह प्रतियोगता देखने समय पर आ गये।दौड़ शुरू हुई तो खरगोश तेजी से दौड़ता हुआ कछुए से बहुत आगे निकल गया।कुछ देर बाद ख़रगोश ने जब पीछे मुड़कर देखा  तो उसे कछुआ कहीं नज़र नहीं आया।            उसने पास में ही एक हरा फलो से भरा एक पेड़ देखा।उसने सोचा," क्यों ना कुछ फल खा लिए जाए"।फल खाकर ख़रगोश को नींद आने लगी।खरगोश ने सोचा "कछुआ तो अभी बहुत दूर है तब तक में कुछ देर सौ लेता हूँ "।कछुआ अपनी धीमी चाल चलते चलते जीत की रेखा तक पहुँच गया।कछुए को देखकर सभी जानवरों ने तालिया बजाना शुरू कर दिया।तालियों की आवाज सुनकर खरगोश जाग गया और उसे अपनी गलती का एह...

Interesting new version of "गधे का भार" भाग 2 panchtantra story

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  एक समय की बात हैं।एक गांव में एक व्यापारी रहता था।उसके पास एक गधा और घोडा था।दोनों जानवर अब आपस में बहुत समझ कर रहते थे।वह आपस में बाट कर व्यापारी का सारा काम कर लेते थे।व्यापारी भी उनकी दोस्ती से खुश रहने लगा।    व्यापारी के पड़ोस में एक धोबी रहता था।उसके पास भी एक गधा था। दोनों गधे आपस में बहुत अच्छे मित्र थे। एक बार धोबी के गधे ने व्यापारी के गधे से कहा,"मित्र भले सारी दुनिया हमें मुर्ख कहती हैं लेकिन हमारी बिरादरी में तुम थोड़े होशियार निकले। तुम तो एक घोड़े से थोड़ा बहुत अपना काम करवा लेते हो"।     यह सुनकर व्यापारी के गधे को अपने आप पर फक्र मेहसूस हुआ।उसने धोबी के गधे से कहा कि "तुम देखना मैं थोड़ा बहुत नहीं अपना सारा काम भी घोड़े से करवा सकता हूँ"। धोबी के गधे ने कहा ऐसी बात हैं तो चलो तुम्हारी समझदारी देख ही लेते हैं।      दूसरे दिन जब व्यापारी ने गधे और घोड़े पर अपना सामान रखा तो गधा बेहोस हो कर गिर गया।यह देखकर व्यापारी ने सारा सामान घोड़े की पीठ पर रखकर घोड़े को लेकर बाज़ार की ओर निकल पड़ा।इधर व्यापारी के जाते ही गधा उठ खड़ा हुआ और आर...

moral story in hindi for kids"गधे का भार" भाग 1

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गर्मी के  एक दिन की बात हैं। एक गांव में एक व्यापारी के पास गधा और घोड़ा था।वह हर रोज़ उन पर सामान लादकर बेचने के लिए शहर जाता । उस दिन व्यापारी के पास थोड़ा ही सामान था।उसने सारा सामान गधे की पीठ पर लाद दिया।उसके बाद वह घोड़े और गधे को लेकर शहर की ऒर चल दिया। रास्ते में, भारी वज़न उठानें के कारण गधा थक गया तो घोड़े से बोला ,"दोस्त , में बहुत थक गया हूँ।क्या तुम मेरा आधा बोझ उठा लोगे?"।      घोड़े ने बोझ उठानें से साफ इनकार कर दिया। दोपहर होने वाली थी। गधा तेज गर्मी और भारी बोझ सहन न कर सका और वह ज़मीन पर बेहोश होकर गिर गया। व्यापारी ने गधे की यह हालत देखकर गधे की पीठ से सारा बोझ उठाकर घोड़े की पीठ पर रख दिया।जब पूरा बोझ घोड़े की पीठ पर आ गया तब घोड़े को महसूस हुआ गधे को कितनी परेशानी हो रही थी।पर अब पछताने से क्या होता, घोड़े को सारा बोझ अकेले ही लादकर शहर जाना पड़ा। शिक्षा:  दूसरों की परेशानी कम करने से भविष्य में हमें ही लाभ होता हैं।

hindi moral story fir small kids"प्यासा कौआ"

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  एक बार की बात हैं। गर्मी के दिन थे।एक कौआ पानी की तलाश में इधर -उधर भटक रहा था।उसने पूरे जंगल में सब जगह देखा, उसे कहीं भी पानी नहीं मिला।भटकता हुआ कौआ पास के गांव में पंहुचा। उसे वहां एक टूटी झोपड़ी नज़र आई।झोपड़ी के बाहर एक मिट्टी का घड़ा रखा था, कौए ने उस घड़े में देखा तो पाया की घड़े के तल में थोड़ा पानी था।पानी इतना कम था कि उसकी चोंच पानी तक पहुँच नहीं रही थी, इसलिए वह उदास हो गया।        पानी किस प्रकार पिया जाए , यह सोचते हुए उसने घड़े के आसपास देखा।पास ही उसे कुछ कंकड़ पड़े नज़र आए।उन कंकड़ को देखकर उसे एक उपाय सूझा ।उसने अपनी चोंच में कंकड़ भरकर घड़े में डालने शुरू कर दिए।कंकड़ डालने के कारण पानी ऊपर आ गया। कौआ अपनी प्यास बुझाकर उड़ गया। शिक्षा: इच्छानुरूप सब कुछ संभव हैं।

hindi moral story from olden times "मुर्ख सियार"

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     एक समय की बात हैं।शेर से बच कर भागते हुए एक सियार धोबी के घर में घुस गया। वहाँ कपड़ो को रंगने के लिए नीले रंग से भरे टब में गिर गया।जब वह बहार निकला तो वह पुरी तरह नीला हो गया था। जब सियार जंगल वापस लौटा तो सभी जानवर उसे देखकर डरने लगे। उन्हें  समझ नहीं आ रहा था यह अजीब जानवर कौन हैं।सियार ने  इस बात का फायदा लेने की सोची।सियार सबसे बोला,"मुझे ईश्वर ने विशेष तौर पर तुम लोगो का राजा बनाकर भेजा हैं,"।     जंगल के सभी जानवरों ने उसे अपना राजा मान लिया। वह सभी जानवरों से अपना काम करवाने लगा और सब पर अपना हुकुम चलाने लगा।शेर और हाथी जैसे जानवर भी उससे डरने लगे।  एक दिन नीला सियार अपना दरबार लगाकर बैठा था, तभी  उसे कुछ  सियारो की चिल्लाने की आवाजें आई और वह भी जोश में आकर जोर-जोर् से चिल्लाने लगा।   उसे देखकर सारे जानवर समझ गए के यह कोई राजा नहीं है, एक साधारण सा सियार ही हैं।सभी को सियार पर बहुत गुस्सा आया और सबने मिलकर उसकी अच्छी पिटाई की और उसे जंगल से भगा दिया।   

Hindi moral story "अपनी शक्ति को पहचानीए"

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  एक बार एक जंगल में एक बारहसिंघा रहता था। वह हमेशा एक तालाब के पास पानी पीने जाता था। वह पानी में अपनी परछाई देखकर अपने आपसे हमेशा कहता,"मेरे सींग बहुत सुंदर हैं ! काश मेरे पैर भी उतने सुंदर होते"!        एक दिन एक भेड़िया उसके पीछे पड़ गया।बारहसिंघा घने जंगल की तरफ भागने लगा। लेकिन उसके सींग एक घनी झाड़ी में  फस गए। उसे लगने लगा कि वह बच नहीं पायेगा। अब वह अपने सींगों को कोसने लगा। अंत में अपने मजबूत पैरो की सहायता से अपने आप को झाड़ियों से निकालने में सफल हो गया।      बारहसिंघा ने अपने कुरूप पैरों का अपनी जान बचने के लिए आभार माना।वह अब जान गया कि उसे अपनी जान की रक्षा के लिए अपने सींगों से ज्यादा पैरों की जरुरत हैं।उसके बाद उसने अपने पैरों को कभी नहीं कोसा।     शिक्षा : अपनी शक्ति को पहचानीए

Interesting funny moral hindi story"एकता में शक्ति हैं"

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एक समय की बात हैं।एक घना जंगल था। जंगल में बहुत से जानवर रहते थे। बारिश के मौसम में बहुत सारे मेढ़क तालाब के किनारे बैठकर बातें कर रहे थे। उस  साल अच्छी बारिश हुई थी। इससे मौसम ठंडा था और आसपास बहुत हरियाली थी।उन सभी मेढ़क में कुछ बच्चे, तो कुछ जवान और कुछ बूढ़े भी थे।         सभी लोग मौसम का मज़ा लेते हुए अपनी अपनी बात बता रहे थे।तभी एक बुढ़े मेढ़क ने देखा  की एक भूखा सांप उनकी ओर झाड़ियों में छुप कर  देख रहा है।उसने सब को चौकन्ना कर दिया।सब ने कहा चलो भागकर कहीं छुप जाते हैं।तब एक होशियार जवान मेढ़क ने कहा अगर हम सब एक साथ भागने लगेंगे तो सांप किसी ना किसी को पकड़ ही लेगा। बच्चे और बूढ़े को भी भागने में परेशानी होगी।   तब एक बूढ़े मेडक ने कहा अगर हम सब जोर से एक साथ आवाज करेंगे तो हो सकता हैं कि सांप डर कर भाग जाए। सभी को उनकी बात ठीक लगी। सब मिलकर जोर से टर्र टर्र करने लगे।   सबके एक साथ जोर जोर से बोलने के  कारण बहुत डरावनी आवाज आने लगी। इतनी डरावनी आवाज सुनकर सांप झट से भाग निकला और सभी ने चेन की सॉंस   ली। शिक्षा :ए...

motivatinal funny story in hindi "परोपकारी पेट कि कहानी"

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    एक बार शरीर के सभी अंग आपस में लड़ाई कर रहे थे।सभी को यह महसूस हो रहा था कि पेट को बाकी सभी अंगों की तुलना में अधिक आराम मिलता हैं।   पैर बोले,"हम तो हमेशा चलते फिरते रहते हैं", और पेट को कोई काम नहीं  करना पढ़ाता हैं।हाथ बोले,"हमारा तो किसी को महत्त्व  समझ में ही नहीं आता"।    दांत बोले,"हम तो पेट के लिए भोजन चबाते हैं और उसे तो ज़रा भी हिलना नहीं पढ़ाता"। इस तरह सब ने अपने अलग -अलग विचार प्रगट किए।   अंत में सब ने हड़ताल करने की सोची और काम  करना बंद  कर दिया।           अब हड़ताल होने से पेट को खाना मिलना बंद हो गया।धीरे - धीरे शरीर कमजोर होने लगा।तब पेट बोला ,"जब तक मुझे खाना मिलता था तब तक मैं सभी को ताकत देता था,"। अब सभी अंगों को महसूस हुआ  कि पेट के कारण ही उन सब को ताकत मिलती थी।   अब सभी अंगों को पेट का महत्त्व समझ में आ गया और अपनी गलती का अहसास हुआ।      सभी अंगों ने दोबारा मिलकर काम करना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में शरीर पुनः स्वस्थ हो गया।

"तुम अपना वर्तमान और भविष्य  दोनों ही हो,"

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      एक समय की बात है।एक बहुत ही आमिर आदमी एक बड़े शहर में रहता था। वह बहुत ही महनती था।उसके पास जीवन   की सभी सुख सुविधाए थी।लेकिन  वह अपने  लक्ष्य पर ठीक से काम नहीं कराता था।इसके चलते उसका काम बुरी तरह खराब होता था और  वह हमेशा दुःखी रहता था।उसने अपनी समस्या को हल करने  की बहुत कोशिश  की लेकिन उसे कोई हल नहीं मिला।      अतः उसने अपनी  परेशानी एक बहुत  ही  बड़े  तपस्वी  संत बताई।उसकी समस्या  सुनने  के बाद संत ने उससे कहा कि तुम अपने भविष्य  की इतनी चिंता  करते हो कि तुम अपनी वर्तमान     की समस्या और खुशिओं को ही भूल जाते हो। मनुष्य जो हुआ ही नहीं है उसकी चिंता में अपना समय और शरीर दोनों  ही खराब कर देता है।  आदमी को हमेशा याद रखना चाहिए कि ,"वह अपना वर्तमान और भविष्य दोनों ही है"।

hindi inspirational stories "अपने आप को बदलिए"

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बहुत समय पहले कि बात है।एक गांव में एक आदमी रहता था। वह हमेशा लोगों की शिकायते करता रहता था। उसे हर चीज़, आदमी या छोटे बड़े जीव से भी परेशानी रहती थी।      एक बार उस गांव में एक बहुत ही बड़े संत आए।उसने अपनी सारी  तकलीफ उनके सामने रख दी।संत ने उसकी बात बहुत ही शांति से सुनी। उसके बाद संत ने उससे कहा ,"अगर तुम शांति चाहते हो तो अपने आप को बदलो न की लोगों को"।अपने आप को बदलना आसान हैं अगर दुनिया बदलने निकलोगे तो कुछ हासिल नहीं कर पाओगे। उसके बाद उस आदमी ने ऐसा ही किया  और हमेशा खुश रहा।