moral story with nitti ," कंजूस धनीराम" for school children


       पुराने समय की बात हैं। पालनपुर नाम का एक छोटा गाँव था।उस गाँव में धनीराम नाम का एक अमीर व्यापारी रहता था।धनीराम के पास बहुत धन था। धनी ने अपना सारा धन अपने घर में अनाज भरने की कोठी में छिपा कर रखा था।वह हर रोज़ आंंधी रात को उठता और अपने सारे सोने के सिक्के गिनता और फिर तसल्ली से सो जाता।लेकिन वह स्वभाव से बहुत कंजूस था।अगर कभी लोग उसके पास मदद मांगने आते तो मना कर देता।
       उसके पड़ोस में एक रामू नाम का गरीब धोबी रहता था। रामू का बेटा पढ़ाई में बहुत होशियार था।रामू उसे पढ़ाई के लिए शहर भेजना चाहता था। रामू ने धनीराम से पैसे कि मदद मांगी तो उसने पैसे देने से साफ इनकार कर दिया।
    एक दिन एक चोर ने धनीराम को पैसे गिनते देख लिया।अब चोर मौके की तलाश में था।कुछ दिन बाद धनीराम के बेटे की तबियत खराब हो गई।गाँव के वैद्य ने उसे शहर जाने की सलाह दी। धनीराम जैसे ही शहर गया ही रात को चोर ने सोने के सिक्के निकाल कर उनकी जगह पत्थर रख दिए ।
   जब धनीराम शहर से लौटा तो सिक्कों की जगह पत्थर देखकर वह बहुत रोया।अब धनी को एहसास हो गया था की जो धन दुःख में काम न आवे वह बेकार ही हैं।अब धनी  सभी गरीबों और जरूरतमंदो की मदद करने लगा।

शिक्षा :हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।

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