Moral story in hindi"लालच बुरी बला हैं"
मथुरा नगर में सेवकराम नाम का हलवाई रहता था।वह बहुत स्वादिष्ठ मिठाई बनाता था।धीरे -धीरे उसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैल गई।अब दूर -दूर से ग्राहक उसकी मिठाई लेने आने लगे।
अब सेवकराम के दिमाग में लालच जागा। वह तोलने में गड़बड़ी करने लगा।अब वह ग्राहकों को ज्यादा मुनाफा कमाने की लालच में थोड़ी कम मिठाई देता।
एक दिन एक होशियार ग्राहक उसकी दुकान में आया।उसने सेवकराम की गड़बड़ी पकड़ ली।ग्राहक ने उससे कहा,'सेवक रामजी ज़रा ठीक से तोलिये"।जवाब में सेवकराम ने कहा "ठीक से ही तोल रहा हूँ"।जब पैसे देने की बात आई तो ग्राहक ने कुछ कम पैसे दिए।तब सेवक राम ने इस बारे में ग्राहक को कहा तो ग्राहक ने हँसते हुए जवाब दिया ," जैसी मिठाई वैसा पैसा"।कतार में खड़े दूसरे ग्राहको को जब इस बात का पता चला तो सब ने सेवक राम का खूब मजाक बनाया।उस दिन से सेवक राम तोलने में हेराफेरी करना भूल गया।
शिक्षा:लालच बुरी बला हैं।
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