"कछुआ और खरगोश कहानी" new version of frog and tortoise story in hindi
कुछ दिन तो खरगोश ने यह सब सहन किया। लेकिन जब उससे सहन नहीं हुआ तो खरगोश ने फिर से कछुए को दौड़ की चुनौती दे डाली।कछुए ने कहा,"मैं तुम से फिर से प्रतियोगता करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन दिन और लक्ष्य में तय करूँगा"।खरगोश ने बिना सोचे हा कह दिया।
दौड़ वाले दिन सारे जानवर प्रतियोगीता देखने आ गये।जैसे ही दौड़ शुरू हुई तो खरगोश फटाफट दौड़ने लगा।खरगोश ने सोच लिया था कि इस बार ना वह कुछ खाने रुकेगा न ही सोएगा।कछुआ भी धीरे- धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा।इस तरफ खरगोश तालाब के किनारे आ कर अटक गया। जीत का लक्ष्य तालाब के उस पार पहाड़ी की चोटी को तय किया गया था।दूसरी तरफ कछुआ धीरे- धीरे तालाब पार कर चोटी तक पहुँच गया और फिर से जीत गया। सभी जानवरों ने फिर से तालिया बजाकर कछुए को जीत की बधाई दी।खरगोश भी अपनी हार मान कर जंगल लौट गया।
शिक्षा:हमें गुस्से में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
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