every old story has a new part in hindi"चतुर खरगोश भाग 2"
एक बार पड़ोस के नंदनवन जंगल से कुछ जानवर खरगोश से मिलने आये।नंदनवन में सभी जानवर भेड़िये के आतंक से बहुत परेशान थे।भेड़िया बिना मतलब आते जाते जानवरो को परेशान करता था।कई बार तो बिना जरूरत वह अपने से कमज़ोर जानवरो को मार गिरता था।उसकी इस बात से सभी जानवर बहुत परेशान थे।
नंदनवन जंगल शहर के पास ही था। खरगोश ने कहा ,"चलो में भेड़िये से बात करने चलता हूँ"। खरगोश सभी जनवरों के साथ नंदनवन की ओर निकल पड़ा।रास्ते में खरगोश ने एक गड्ढा दिखा।जिसे देखकर खरगोश को उपाय सुझा और उसने सभी जानवरों से कहा इस गड्ढे को कॉटो से भर दो।सभी जानवरो ने ऐसा ही किया और बाद में खरगोश ने कॉटो को हरी घास से ढक दिया।फिर खरगोश ने भेड़िये के पास जाकर कहा,"महाराज आप तो नंदनवन के राजा हैं ।आप को पेड़ के नीचें नहीं बल्की सिहासन पर बैठना चाहिए। सभी जानवरो ने आप के लिए सिहासन तैयार कर दिया है।मेरे साथ चल कर उस पर बैठिये"।यह सुन भेड़िया बहुत खुश हुआ।उसने मन में सोचा,"चलो सभी जानवरो को मेरी शक्ति का एहसास तो हुआ"। भेड़िया अब खरगोश के साथ
अपना नया सिहासन देखने चल दिया।
खरगोश उसे उसी रास्ते से ले गया जहां वह कॉटों से भरा गड्ढा था।हरी घास के कारण भेड़िये को गड्ढा नहीं दिखा और वह उसमें गिर गया।दूसरे दिन शिकारी भेड़िये को आकर जंगल से ले गए।नंदनवन में अब सभी जानवरों ने चैन की सांस ली और चतुर खरगोश को धन्यवाद किया।
शिक्षा:हमें दूसरों को खुद से कमज़ोर कभी नहीं समझना चाहिए।
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