Hindi moral story "अपनी शक्ति को पहचानीए"
एक बार एक जंगल में एक बारहसिंघा रहता था। वह हमेशा एक तालाब के पास पानी पीने जाता था। वह पानी में अपनी परछाई देखकर अपने आपसे हमेशा कहता,"मेरे सींग बहुत सुंदर हैं ! काश मेरे पैर भी उतने सुंदर होते"!
एक दिन एक भेड़िया उसके पीछे पड़ गया।बारहसिंघा घने जंगल की तरफ भागने लगा। लेकिन उसके सींग एक घनी झाड़ी में फस गए। उसे लगने लगा कि वह बच नहीं पायेगा। अब वह अपने सींगों को कोसने लगा। अंत में अपने मजबूत पैरो की सहायता से अपने आप को झाड़ियों से निकालने में सफल हो गया।
बारहसिंघा ने अपने कुरूप पैरों का अपनी जान बचने के लिए आभार माना।वह अब जान गया कि उसे अपनी जान की रक्षा के लिए अपने सींगों से ज्यादा पैरों की जरुरत हैं।उसके बाद उसने अपने पैरों को कभी नहीं कोसा।
शिक्षा : अपनी शक्ति को पहचानीए
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