moral story in hindi for kids"गधे का भार" भाग 1


गर्मी के  एक दिन की बात हैं। एक गांव में एक व्यापारी के पास गधा और घोड़ा था।वह हर रोज़ उन पर सामान लादकर बेचने के लिए शहर जाता । उस दिन व्यापारी के पास थोड़ा ही सामान था।उसने सारा सामान गधे की पीठ पर लाद दिया।उसके बाद वह घोड़े और गधे को लेकर शहर की ऒर चल दिया। रास्ते में, भारी वज़न उठानें के कारण गधा थक गया तो घोड़े से बोला ,"दोस्त , में बहुत थक गया हूँ।क्या तुम मेरा आधा बोझ उठा लोगे?"।
     घोड़े ने बोझ उठानें से साफ इनकार कर दिया। दोपहर होने वाली थी। गधा तेज गर्मी और भारी बोझ सहन न कर सका और वह ज़मीन पर बेहोश होकर गिर गया। व्यापारी ने गधे की यह हालत देखकर गधे की पीठ से सारा बोझ उठाकर घोड़े की पीठ पर रख दिया।जब पूरा बोझ घोड़े की पीठ पर आ गया तब घोड़े को महसूस हुआ गधे को कितनी परेशानी हो रही थी।पर अब पछताने से क्या होता, घोड़े को सारा बोझ अकेले ही लादकर शहर जाना पड़ा।

शिक्षा:  दूसरों की परेशानी कम करने से भविष्य में हमें ही लाभ होता हैं।

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