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"संसार की प्रचुरता पर विश्वास कीजिए" A short motivational story in hindi about abundance

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एक आदमी रास्ते पर से जा रहा था। उसे रास्ते में एक भिखारी मिला।आदमी को देखते ही भिखारी ने अपनी आदत अनुसार पाँच रुपये मांगे।आदमी ने भिखारी से कहा,"जब तुम्हारे पास इतना धन हैं तो भीख क्यों माँग रहे हो"?   भिखारी पल भर के लिए तो आदमी का जवाब सुनकर सोच में पड़ गया।फिर खुद को संभालते हुए उसने पूछा," मेरे पास कोई धन नहीं हैं"। आदमी ने मुस्कुरातें हुए भिखारी से पूछा,"तुम इस सन्दुक पर कब से बैठकर भीख माँग रहे हो"? भिखारी ने जवाब दिया, "साब में चालीस साल से इस पर बैठकर भीख मांग रहा हूँ"। आदमी ने पूछा, " कभी इस सन्दुक को खोलकर देखा हैंं" ? भिखारी ने कहा, "साब कभी दिमाग में नहीं आया"। आदमी ने कहा," तो आज खोलकर देख लो"। आदमी की बात सुनकर भिखारी ने सन्दुक को खोलने का निर्णय किया। उसने बहुत ठोक पटककर किसी तरह सन्दुक को खोला।सन्दुक के अंदर एक कपडे़ की गठरी थी। भिखारी ने फिर कपडे़ की गठरी खोली।गठरी के अंदर बहुत सारे सोने के गहने थे। शिक्षा: हमें जो कुछ भी चाहिए वह हमारे आसपास ही हैंं।बस हम उसे देख नहीं पाते क्योकि हम ब्रह...

"समय का महत्त्व" motivational hindi story about time

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  एक समय की बात हैं।एक बहुत ही ज्ञानी साधू महात्मा थे।उनके बहुत से अनुयायी थे।आसपास के लोग उन्हें बहुत मानते थे।उनके ज्ञान की ख्याति दूर- दूर तक फैली हुई थी।एक दिन एक साधु उनके पास आया।उसने उनसे कहा,"मैं पानी के ऊपर चल सकता हूँ।मैंने यह सिद्धि पूरे बीस साल की कड़ी मेहनत और तपस्या से हासिल की है"।साधू महात्मा ने कहा,"यह तो बहुत अच्छी बात हैं। आप मुझे पानी पर चल कर दिखाएं"।उस साधू ने उन्हें नदी पार कर के दिखाई।         उसे देखने के बाद साधू महात्मा ने उसी नदी के पास खड़ी एक नाव में बैठकर नदी पार की। उन्होंने नाविक को दो पैसे अपना किराया दिया।उसके बाद उस साधू के पास जाकर कहा," जो काम दो पैसे देकर हो सकता हैं उसमें बीस साल बर्बाद क्यों करना"? ऐसा कहकर वो अपने अनुयाइयो को लेकर आगे बढ़ गए। शिक्षा:हमें समय का महत्त्व समझना चाहिए।व्यर्थ के कामों में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।

"मेहनत से सब संभव है" moral story in hindi

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  पुराने समय की बात है।रामपुर और पालनपुर नाम के दो छोटे राज्यों के बीच युद्ध शुरू हो गया था।रामपुर के राजा विक्रम के बहुत प्रयास के बाद भी उनकी हार लगभग तय थी।पालनपुर की सेना से बचने के लिए राजा विक्रम जंगल की एक गुफा में छिप गए। गुफा में राजा ने एक मकड़ी को जाल बनाते देखा।राजा ने देखा की मकड़ी जाल बनाते -बनाते लगभग बीस बार गीरी।लेकिन हर बार गिरने पर बिना हारे वह खड़ी होकर फिर से जाला बनाने लगतीं।लेकिन  इक्कीसवीं बार मकड़ी ने जाला बना लिया। यह देखकर राजा को एहसास हुआ की उसे भी इतनी आसानी से हार नहीं माननी चाहिए।वह खड़ा हुआ और फिर से अपनी सेना के साथ युद्ध में जुड़ गया। शिक्षा: कोशिश से सब कुछ संभव है।